लगाएं हैवी वेट, निकालें चीख। मसल्स का बाप भी बाहर आएगा। ट्रैप्स हमारी बॉडी का वो पार्ट होता है, जिसकी बदौलत कोई हमें पीछे से ही पहचान लेता है कि आगे कोई बॉडी बिल्डर जा रहा है। इस पार्ट को हम हमेशा शोल्डर का हिस्सा मानकर वर्कआउट करते हैं। इसलिए आमतौर पर पहले शोल्डर की एक्सरसाइज करते हैं और फिर ट्रैप्स की।
एक लेवल तक तो ये ठीक है। शुरुआती बॉडी बिल्डर्स हैं या अभी मिडिल लेवल तक ही पहुंचे हैं तो ट्रैप्स का वर्कआउट शोल्डर के साथ ही ठीक है। लेकिन मिडिल लेवल की बॉडी बिल्डिंग या यूं कह लो कि जब आप कुछ ठीक-ठाक दिखने लगो तब ये जरूरी हो जाता है कि ट्रैप्स को अलग लुक दें।
हमें ट्रैप्स के बारे में दो बातें सोचनी होती हैं, एक तो ये मोटे हो जाएं और दूसरे ये हमारी बैक से अलग हो जाएं। यानी मसल्स पीछे से बिल्कुल साफ झलकें। फेसपुल, रिवर्स बटर फ्लाई जैसी एक्सरसाइज मसल्स को बाकी बॉडी से अलग करती हैं और अपराइट रो, डंबल फ्रंट रेज या साइड रेज वगैरह जैसी कसरतें इसे मोटा बनाती हैं।
जब आपके मन में अच्छे ट्रैप्स (Traps)बनाने का ख्याल आता है तो हम सबसे पहले गूगल की शरण में जाते हैं और कुछ इस तरह के सवाल पूछते हैं –
- बड़े ट्रैप्स कैसे बनायें
- बड़े ट्रैप्स की टॉप कसरतें
- ट्रैप्स की कितनी कसरत करें
- हैवी ट्रैप्स कैसे बनायें
कैसे बनेंगे मोटे ट्रैप्स (How to make heavy Traps)
इसके लिए हमें ट्रैप्स पर अलग से फोकस करना होगा। अरे हां, एक बात जो सबसे जरूरी है और जो मैं हर बार कहता हूं। अगर डाइट नहीं लेंगे तो कुछ नहीं होगा। सारा खेल उम्दा डाइट का है। हैवी ट्रैप्स के बारे में तभी सोचें जब आप हैवी डाइट का इंतजाम करके बैठे हों। हम आपको कसरतें बता रहे हैं, कायदे बता रहे हैं। इनपर चलेंगे तो उम्दा बदन पाएंगे।
सबसे जरूरी नियम (The most important rule)
ट्रैप्स के साथ लाइट और हैवी वेट का मिक्स वर्कआउट करना होता है। कम से कम एक सेट ऐसा जरूर लगाएं, जिसमें फॉर्म बिल्कुल एक्यूरेट हो। इसमें रैप की गिनती 20 के आसपास रखें। इसके अलावा कम से कम दो सेट ये सोचकर लगाएं कि भाड़ में गई फॉर्म। डंबल साइड रेज, डंबल फ्रंट रेज या अपराइट रो में आप ये फॉर्मूला अपना सकते हैं।
लगाएं हैवी वेट, निकालें चीख। ट्रैप्स का बाप भी बाहर आएगा। यहां मैं आपको कुछ वर्कआउट के बारे में बता रहा हूं। मैं आपको ये भी बताऊंगा कि इनमें से कौन से वर्कआउट में फॉर्म का ज्यादा ध्यान रखना है और किसमें पागल हो जाना है।
1 डंबल साइड रेज (Dumbbell side raise)
भयंकर ट्रैप्स की भयंकर कसरत है। न आए फॉर्म तो ना सही वेट हैवी लगना चाहिए। मगर हां बिना वार्म अप किए इस कसरत को नहीं करना है। कई लोग पूरा हाथ खोलकर डंबल कंधों से ऊपर तक ले जाते हैं।
कुछ लोग कोहनी मोडकर रखते हैं और कभी भी डंबल को कोहनी के ऊपर नहीं जाने देते। यानी कोहनी के बल पर वेट होल्ड करते हैं। दोनों में से आपको जो सूट करे वो ठीक मगर मेरा पर्सनल एक्सपीरियंस ये है कि कोहनी मोड़कर रखने में ज्यादा मजा है।
लेकिन मैं आपको बांधूंगा नही, आपको जैसे करना है वैसे करें। मगर आखिर में ट्रैप्स से आवाज आनी चाहिए – अबे बच्चे की जान लेगा क्या।
2 सिटिंग डंबल साइड रेज (siting dumbbell side raise)
ये वर्कआउट रैप्स और फॉर्म के लिए है। इसमें हैवी वेट लगाना मुश्किल होता है। जो लोग कैपेसिटी से ज्यादा हैवी वेट लगा लेते हैं वो झूला-झूलने लगते हैं। क्योंकि इस सेट में वेट उठाने में लेग्स और कमर से मदद नहीं मिलती।
फॉर्म बनाए रखने का मतलब ये भी नहीं है आप बिल्कुल रोबोट की तरह हो जाएं। थोड़ा आगे पीछे होने में कोई बुराई नहीं है। इस वर्कआउट को करते वक्त कोशिश ये करें कि वेट जब उठे तो थोड़ा सा अपनी पीठ को आप सिकोड़ें यानी हाथ हल्के से पीछे की ओर रहें। जब नीचे की ओर आएं तो हाथ थोड़ा सा आगे की ओर कर लें।
3 श्रग्स (Shrugs)
बेहतरीन कसरत। ट्रैप्स की बेजोड़ एक्सरसाइज। सबसे आखिर में करेंगे तो संपूर्णता का अहसास दिलाती है ये कसरत। हैवी वेट से लगाएं, इसमें आप चाह कर भी फॉर्म को बहुत नहीं बिगाड़ृ सकते। जितना हो सके, उससे ज्यादा हैवी वेट लगाएं।
हां कुछ लोग हाथ थोड़े ज्यादा खोल लेते हैं जैसे तस्वीर में इन साहब ने खोल रखें हैं। मगर फिर भी ये मजेदार एक्सरसाइज है। हो सके तो डंबल को सामने की ओर रखें। इस वर्कआउट में नोट करने वाली और याद रखने वाली एक ही बात है….पॉज यानी ठहराव।
मसल्स के कांट्रैक्श्न प्वांइट पर ठहरना है वेट को फील करना है उसके बाद ही डंबल नीचे जाएंगे। नीचे जाने के बाद पॉज देने की जरूरत नहीं है। आप झटके से भी डंबल ऊपर की ओर खींच सकते हैं। फोकस करना है पीक प्वाइंट पर डंबल नीचे आएं तो पूरी तरह से कंट्रोल में नीचे जाएं। पूरा वेट ट्रैप्स पर जाना चाहिए। बाजू केवल लिवर की तरह काम करेंगे। ताकत ट्रैप्स की लगेगी।
4 रिवर्स बटरफ्लाई (Reverse Butterfly)
वापस फॉर्म पर आ जाते हैं। ये ट्रैप्स को बॉडी से अलग करती है। इसमें बहुत हैवी वेट के चक्कर में नहीं पड़ना चाहिए। रैप की गिनती 20 के आसपास रखनी चाहिए।
मसल्स के कांट्रैक्शन प्वाइंट पर रुकना बेहद जरूरी है अगर आप ऐसा नहीं कर रहे तो आप कुछ नहीं कर रहे। ठहरें, वेट को होल्ड करें और ट्रैप्स को महसूस करें। ये एक्सरसाइज ट्रैप्स को शेप देने में माहिर है।
5 बेंट ओवर डंबल रेज (Bent over dumbbell raise)
आमतौर पर ये कसरत डंबल से की जाती है, मगर इसे आप प्लेट से भी कर सकते हैं, जैसे फोटो वाले भाई साहब कर रहे हैं। इसकी पोजीशन कुछ ऐसी होती है कि हैवी वेट लगाना मुमकिन नहीं होता।
इस कसरत में हैवी वेट लगाकर जूझने की कतई जरूरत नहीं है। ये कसरत ट्रैप्स के साइज पर कम और शेप पर ज्यादा काम करती है। बड़ी कमाल की कसरत है। जरूर करें, चाहें तो आखिर में कर सकते हैं। तब तक आप थक भी चुके होंगे।
क्या हमेशा ये पांच कसरत करनी हैं
हां, और नहीं। मैं हर बार यही कहता हूं कि बॉडी बिल्डिंग गणित नहीं है। अभी तो हमने फेस पुल एक्सरसाइज की बात ही नहीं। इस हिसाब से देखें तो ट्रैप्स की छह काबिल एक्सरसाइज हैं। आपको केवल तीन करनी हैं, तब जब आप शोल्डर के साथ ट्रैप्स कर रहे हैं। आपको चार करनी हैं जब आप शोल्डर की केवल दो कसरत करते हैं और बाकी ट्रैप्स की और आपको पांच कसरत तब करनी है जब आप केवल ट्रैप्स का वर्कआउट कर रहे हैं।
जरूरी नहीं कि यही पांच एक्सरसाइज करें। अपराइट रो, फेस पुल, डंबल फ्रंट रेज को आप इग्नोर नहीं कर सकते। इसलिए मिलाजुला कर वर्कआउट करें। कुछ लोगों को अपराइट रो बहुत पसंद है। अगर आपके साथ भी ऐसा है तो जरूर करें।
और अंत में
देखो मेरे भाई। आपकी बॉडी किस स्टेज पर है ये फैसला आपको खुद लेना है। नॉर्मली हम ट्रैप्स का वर्कआउट शोल्डर के साथ करते हैं। जब हम कटिंग पर होते हैं तो सप्ताह में दो बार ट्रैप्स करते हैं, एक बार बैक के साथ दूसरी बार शोल्डर के साथ। अगर आपको इसे स्पेशल लुक देना है तो इस बॉडी पार्ट पर स्पेशली काम करना होगा। बीच का रास्ता ये है कि शोल्डर की केवल दो कसरत करें, एक फ्रंट शोल्डर के लिए और एक बैक शोल्डर के लिए, फिर चार एक्सरसाइज ट्रैप्स की करें।
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