मेरा नाम आतिफ आजम है और मैं अमरावती जिले का रहने वाला हूं। मुझे भी बॉ़डी बनाने का जुनुन था, ये 2009 की बात है मै बॉ़डी में बहुत मसल्स मास गेन कर चुका था। हमारे यहॉ डिस्ट्रिक लेवल का कंम्पटीशन था। मेरी बॉ़डी अच्छी होने की वजह से मुझे उस कंम्पटीशन में जबरदस्ती करके खिलाया गया और मेरी दूसरी प्लेस लग गई। मुझे पैसा, ट्रॉफी, मेडल मिला और लोगों की तारीफ से मुझे बहूत खुशी हो रही थी। पूरे अमरावती जिम में मेरी वैल्यू बढ गयी थी। ये सब देख के मेरा जुनून और बढ गया और हमारे जिम ट्रेनर ने मुझे राज सर का पता दिया और कहा कि तुझे बड़े लेवल पर खेलना है तो खर्चा भी होगा और ट्रेनर भी पर्सनल रहेगा।
कोच ने कहा था मेडिसिन के चक्कर में मत पड़ना
मैंने राज सर के साथ खूब मेहनत की और उन्होने मुझे नेचुरल ओवर ऑल बॉ़डीबिल्डिंग सिखायी और मुझे समझाया कि मे़डिसिन के चक्कर में नही फसना। मैंने उनकी बात पे अमल किया और अमरावती 2009-2010 के बहुत कंम्पटीशन जीतता चला गया। एक बार ओवर ऑल चैम्पियन भी बन गया। अब मुझे राज सर ने कहा विदर्भ चैम्पियन कंम्पटीशन है आप खेलो और मैने हां भर दी और मै विदर्भ कंम्पटीशन के लिए तैयारी करने लगा। आखिर के 7 दिन स्किन की धारे दिखाने के कारण मैंने पानी बहुत कम कर लिया था, जिसके कारण मुझे कमजोरी आ गयी थी। मैं कंम्पटीशन के लिए गाड़ी भाड़े पर ली और नागपुर पहुंच गया।
कड़ी मेहनत के बाद 5वीं प्लेस आई
मेरे साथ मेरे दोस्त भी थे। मैं वार्मअप रूम में गया और बॉडी पम्प करने लगा। मुझे बहुत कमजोरी आ गयी थी इसलिए मेरी बॉडी पम्प नही हो रही थी और जैसे तैसे मुझे स्टैण्ड पर जाना पड़ा। मैं बहुत डरा हुआ था और मैंने 5वीं प्लेस पाई। मुझे अफसोस हुआ मगर दूसरा कंपटीशन दो महीने बाद था और मैंने सोचा कि इस बार ग्रुप चैम्पियन बनकर रहूंगा। मैंने दिलोजान लगा के मेहनत की और जैसे पिक विक डे शुरू किया मुझे कमजोरी आ गयी। मैने जैसे तैसे 7 दिन निकाल दिए और कंम्पटीशन करने का टाइम आ गया।
अब मुझे 2 प्लेस मिली, लेकिन मैँ खुश नही था क्योंकि मैंने बहुत ज्यादा मेहनत की थी ग्रूप चैम्पियन बनने के लिए। एक अधिकारी मुझे नर्वस और मायूस देखकर एक बॉडीबिल्डर के पास ले गया और मुझसे मिलवाया। उसने मुझसे सब कुछ पूछा कि कैसे वर्क आउट करते हो और पिक विक डे के बारे में पूछा। मैं बताते चला गया उसने मेरी कुछ कमियां दूर कीं और बोला सब ठीक ठाक है। उसने मेरे सर से हाथ फेरे और कहा विदर्भ की तुम मेरे साथ तैयारी करो। मैंने कहा हां, लेकिन मैं मेडिसिन नही लूंगा और उसने हंसते हुए कहा कि मैं तुझे मेडिसिन लेने भी नहीं दूंगा।
सर ने कहा, घबराओ मत
आज 10 साल हो गए लेकिन मेरे कानो में उसकी कही बात गूंजती है कि मैं तुझे मेडिसिन लेने भी नहीं दूंगा। मेरा टाइम खराब आ गया था मैं नाम नही बताऊंगा। वर्ष 2012 विदर्भ कि तैयारी करने लगा। मैंने पूरी तरह अपने आप को ग्रूप चैम्पियन बनने के लिए तैयार किया और उन सर से कंडीशनिंग की बात की। उन्होंने मुझे पीक वीक डे के बारे में बताया और मैं उनके हिसाब से कंट्रोल करने लगा और आखिरी दिन मुझे फिर से कमजोरी आ गयी। मैंने सर से बताया कि आपको इस बार मुझे चैंप बनाना है। सर ने मेरी तरफ देखा कहा और कहा, आतिफ यहां आओ डरो मत। वह मुझे वर्कआऊट रूम से बाहर ले गये और इन्सुलिन वाला इंजेक्शन निकाला और कहा आप चैम्प तब बन सकते हो जब खुद में भरोसा और एनर्जी पालो। तुम्हें दोनों चीज इस 1ml से मिलेगा। मैं सोचने लगा और पहली बार स्टेराइड लेने का फैसला किया और किस्मत खराब हो तो क्या होता है मैं ग्रूप चैम्प बन गया।
खूब नाम और पैसे कमाए
मैं अपनी मेहनत से चैम्प बना था, लेकिन मेपहेनटरमिन इंजेक्शन का असर चला गया और मेरे बुरे दिन चालू हुए। मेरे शहर के लोग मुझसे बहुत प्रभावित थे और मेरा नाम भी बहुत हो गया था और मैं पाउडर बेचने लगा और बहुत पैसे कमाया। दूसरे कंम्पटीशन में भी मैने 1ml ली, लेकिन मुझे पूरी एनर्जी नहीं मिली मैंने सर से कहा सर ये जो आप मुझे देते हो ये क्या है उन्होने कहा ये ऑपरेशन मेडिसिन है नाम टरमिन (termine)है। मेरे में ये कहने की हिम्मत नही थी कि 1ml से मुझे कुछ नहीं हुआ। मैंने अपने एक दोस्त से कहा मेफेनटरमिन (mephentermine) इंजेक्शन का कहीं से भी इंतजाम कर। मेरे दोस्त ने पहचान वाले डॉक्टर से लिखवा लिया और मुझे लाकर दिया। मैं कंप्टीशन के दौरान यूज करता था, लेकिन मुझे इसकी लत लग गई और मैं इसका यूज हर वर्कआउट में करने लगा। मैंने 6 महीने तक उसका यूज किया। पहला साइड डिफेक्ट मुझे भूख लगना कम हो गयी। मुझे पेशाब में खून आने लगा। बॉडी में पानी सिर्फ 2% फिर भी कमजोरी कुछ नहीं। मुझे अस्पताल में भर्ती होना पड़ा, मैं तीन दिन तक भर्ती रहा। मुझे ग्लूकोज चढ़ाया, मगर लौटते ही मैंने टरमिन का इंतजाम किया और यूज किया। मुझे इसकी लत लग गई।
दुश्मन को भी ना हो ये बीमारी
मैं टरमिन इंजेक्शन इतना लेने लग गया था कि मुझे 5ml असर भी नहीं करता था। मुझे सुकून पाने के लिए 7ml चाहिए होती थी तब जाके 3 दिन का सुकून मिलता था, लेकिन इस नशे कि गंदी लत के कारण मुझे दिमागी बीमारी हो गई। ये वो बीमारी है हे भगवान मेरे दुश्मन को भी न दे। इस बीमारी से परेशान लोगों के साथ होता यूं है कि एक जगह ध्यान लग जाता है जो नहीं होता वो दिखायी देता है। वो पागल नहीं होता, लेकिन पागल का भी बाप होता है। आपके सर थोड़े गुस्से में बोले तो उनकी जान भी जा सकती है, क्योंकि मैंने मुझे संभालने वाले दोस्त और चाचा के लड़के को भी वेंटिलेटर पर पहुंचा दिया। आदमी को सारा होश रहता है, लेकिन अगर आप उसकी न मानो तो आप जान से भी जा सकते हो। भला हो राज सर का उन्होंने मेरे मम्मी पापा को टैरिबेल इंजेक्शन के बारे मे बताया और एक डॉक्टर के पास ले जाने की सलाह दी। वह एक साइकेट्रिस्ट हैं। मैंने डॉक्टर को पूरी बात बताई, उन्होंने मेरा इलाज किया और 2017 में मैं पूरी तरह ठीक हो गया। मगर मैं फिर भी टरमिन नहीं छोड़ पाया। मेरी नगरपालिका की जॉब भी चली गयी और मै शादी नही कर सकता और अगर कर भी ली तो बच्चा पैदा नही कर पाऊंगा। गलत मत समझना, लेकिन मेरी बॉडी में हार्मोंस की दिक्कत आ गई है। मेरा बस इतना ही कहना है कि इस इंजेक्शन से दूर रहो।
आतिफ आजम ने खुद अपनी ये स्टोरी बॉडीलैब को भेजी है जिसे हम आपसे शेयर कर रहे हैं।
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